नमस्ते..नमस्कार...प्रणाम या जो बोले सो-निया..(आपको जो पसंद हो वो ले लो ख़ामोशी के साथ )
मन्नू जी
मन्नू जी
बस बार-बार यही ख्याल आ रहा है की अब क्या???
साल के बस छ: सिलेंडर सरकार किस बात का बदला ले रही है हमसे ..ये तो सीधे-सीधे सजा हुई न??
शायद ही दुनिया के किसी देश में ऐसी पाबंदी हो कि जनता कि भूख कि सीमा तय कर दी जाय..
आपका थोरियम..आपका कोयला..आपका टू-जी..आपका आदर्श..आपका कामनवेल्थ..सब तो खा गये अब कामन मैन कि
हेल्थ पर डाका क्यों..?
आपके लाख घोटालो की बात पर चलो आपकी ख़ामोशी ही रख ली पर पेट पर लात तो न मारो...
हिसाब लगाया तो यही समझ आया कि साल के बारह महीनो में छ: सिलेंडर मतलब हर दूजे महीने में एक सिलेंडर...चौदह किलो का एक सिलेंडर कैसे चलेगा दो महीने..??
चार-पांच लोगो का परिवार और महीने का आधा सिलेंडर..!!
ये तो सरासर ओनर के साथ कि गयी किलिंग हुई न..?
किसी खाप पंचायत के फैसले से भी इतना दुःख न हुआ जितना इस बार..
आप अनर्थशास्त्री हैं..विद्वान हैं..स्वामिभक्त हैं..पता आपको भी है हमें भी कि अबकी बार आपके पश्च -प्रदेश में चरणआघात कर
कर आपको सत्ताच्युत कर ही दिया जायगा
पर इस हद तक भी तो न मारिये कि कभी आप लौटने का सोचो तो वो भी संभव न हो पाए..
आप तो "योजनाओ का पहाड़ और लम्बी सी तिहाड़" बनाते हो
कभी-कभी योजना बनाने वाले भी तिहाड़ पहुँच जाते हैं और कभी तिहाड़ वाले योजना बनाने आ पहुँचते हैं..
आपकी योजनाये भी ऐसी हैं कि आपने "राईट टू फ़ूड "तो दे दिया पर ये बताओ मन्नू जी कि गोदामों में सड़ते उस फ़ूड को
हम पकाएंगे काहे पर..???
आपने सही भी किया है आपके फैसलों से आम आदमी का दिमाग ही इतना गरम हो गया है कि कुछ भी रख दो पक जायगा..!!
हमें अभिव्यक्ति कि आजादी है पर आपके खिलाफ कुछ कह नहीं सकते..!
हमें सूचना का अधिकार है..पर ये जानने का हक़ नहीं कि हमारा ही पैसा किसने विदेशो में छुपा रहा है...
हमारे ही पैसो से आपके मालिक-पुरखो के नाम के अस्पताल बनवा रक्खे हैं पर मम्मी जी तो विदेश जाती हैं इलाज कराने..क्यों..??
वैसे ठीक भी है न अस्पताल इलाज के लिए नहीं आम आदमी का पोस्टमार्टम करने के लिए बनवाये जाते हैं..!!
मम्मी जी कहती हैं कि हिंदी नौकरों कि भाषा है...हम पूर्व वाले हैं न थोडा इमोशनल फूल हैं..हम तो कुत्ते को भी खाते समय
पत्थर मार कर नहीं भगाते....
एक कुत्ते और नौकर का दर्द आपसे बेहतर कौन समझ सकता है..??
"हम भारत के लोग" के लिए नहीं तो उस कुत्ते और नौकर कि भावना कि तो कद्र कीजिये..
मन्नू जी अब तो कुछ कीजिये..आप कसाब को बिरियानी खिला दो..असीम को फांसी पर लटकवा दो...अन्ना..केजरीवाल..बाबा..किरण बेदी को कालापानी दे दो..गडकरी..मोदी..सुषमा..ममता..मुलायम..सबका जो चाहे वो करवा दो गायब करवा दो इन सबको कौन सा हमारे सगे वाले हैं..?? हमें तो जिन्दा रहने दो..आप बने रहो प्रधानमंत्री..राहुल गांधी को राष्ट्रपत्नी बना दो..नागमाता को राजमाता बनवा दो..दिग्विजय को राष्ट्रीय पशु बना दो मजाल हम कुछ बोले पर हमें जीने तो दो.!!
मन्नू जी प्लीज प्लीज कुछ तो करो..
आपका भूखा- MANGO MAN
बस बार-बार यही ख्याल आ रहा है की अब क्या???
साल के बस छ: सिलेंडर सरकार किस बात का बदला ले रही है हमसे ..ये तो सीधे-सीधे सजा हुई न??
शायद ही दुनिया के किसी देश में ऐसी पाबंदी हो कि जनता कि भूख कि सीमा तय कर दी जाय..
आपका थोरियम..आपका कोयला..आपका टू-जी..आपका आदर्श..आपका कामनवेल्थ..सब तो खा गये अब कामन मैन कि
हेल्थ पर डाका क्यों..?
आपके लाख घोटालो की बात पर चलो आपकी ख़ामोशी ही रख ली पर पेट पर लात तो न मारो...
हिसाब लगाया तो यही समझ आया कि साल के बारह महीनो में छ: सिलेंडर मतलब हर दूजे महीने में एक सिलेंडर...चौदह किलो का एक सिलेंडर कैसे चलेगा दो महीने..??
चार-पांच लोगो का परिवार और महीने का आधा सिलेंडर..!!
ये तो सरासर ओनर के साथ कि गयी किलिंग हुई न..?
किसी खाप पंचायत के फैसले से भी इतना दुःख न हुआ जितना इस बार..
आप अनर्थशास्त्री हैं..विद्वान हैं..स्वामिभक्त हैं..पता आपको भी है हमें भी कि अबकी बार आपके पश्च -प्रदेश में चरणआघात कर
कर आपको सत्ताच्युत कर ही दिया जायगा
पर इस हद तक भी तो न मारिये कि कभी आप लौटने का सोचो तो वो भी संभव न हो पाए..
आप तो "योजनाओ का पहाड़ और लम्बी सी तिहाड़" बनाते हो
कभी-कभी योजना बनाने वाले भी तिहाड़ पहुँच जाते हैं और कभी तिहाड़ वाले योजना बनाने आ पहुँचते हैं..
आपकी योजनाये भी ऐसी हैं कि आपने "राईट टू फ़ूड "तो दे दिया पर ये बताओ मन्नू जी कि गोदामों में सड़ते उस फ़ूड को
हम पकाएंगे काहे पर..???
आपने सही भी किया है आपके फैसलों से आम आदमी का दिमाग ही इतना गरम हो गया है कि कुछ भी रख दो पक जायगा..!!
हमें अभिव्यक्ति कि आजादी है पर आपके खिलाफ कुछ कह नहीं सकते..!
हमें सूचना का अधिकार है..पर ये जानने का हक़ नहीं कि हमारा ही पैसा किसने विदेशो में छुपा रहा है...
हमारे ही पैसो से आपके मालिक-पुरखो के नाम के अस्पताल बनवा रक्खे हैं पर मम्मी जी तो विदेश जाती हैं इलाज कराने..क्यों..??
वैसे ठीक भी है न अस्पताल इलाज के लिए नहीं आम आदमी का पोस्टमार्टम करने के लिए बनवाये जाते हैं..!!
मम्मी जी कहती हैं कि हिंदी नौकरों कि भाषा है...हम पूर्व वाले हैं न थोडा इमोशनल फूल हैं..हम तो कुत्ते को भी खाते समय
पत्थर मार कर नहीं भगाते....
एक कुत्ते और नौकर का दर्द आपसे बेहतर कौन समझ सकता है..??
"हम भारत के लोग" के लिए नहीं तो उस कुत्ते और नौकर कि भावना कि तो कद्र कीजिये..
मन्नू जी अब तो कुछ कीजिये..आप कसाब को बिरियानी खिला दो..असीम को फांसी पर लटकवा दो...अन्ना..केजरीवाल..बाबा..किरण बेदी को कालापानी दे दो..गडकरी..मोदी..सुषमा..ममता..मुलायम..सबका जो चाहे वो करवा दो गायब करवा दो इन सबको कौन सा हमारे सगे वाले हैं..?? हमें तो जिन्दा रहने दो..आप बने रहो प्रधानमंत्री..राहुल गांधी को राष्ट्रपत्नी बना दो..नागमाता को राजमाता बनवा दो..दिग्विजय को राष्ट्रीय पशु बना दो मजाल हम कुछ बोले पर हमें जीने तो दो.!!
मन्नू जी प्लीज प्लीज कुछ तो करो..
आपका भूखा- MANGO MAN
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